सोमवार, 23 मई 2011

भारतीयों की गरीबी से चिंतित हैं टाटा

आज कल देश  के सबसे बड़े उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा गरीबों के प्रति खासे चिंतित नजर आ रहे हैं. देश का एक नामी उद्योगपति होने के नाते उनका  देश की गरीब जनता के बारे में  चिंतित होना  लाजमी है. और उसपर भी जनता की गरीबी का दोहन करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनके प्रतिद्वंदी उद्योगपति मुकेश अम्बानी हो तो यह चिंता अपने आप ही कई गुना बढ़ जाती है.
मुकेश अम्बानी मुबई में एंटिला नाम का  अपना  27 मंजिला रिहाइशी बंगला बनवा रहे है . टाटा को इस बात की चिंता खाए जा रही है कि जिस देश कि आधी से ज्यादा आबादी को दो जून खाना नसीब नहीं हो रहा है उस देश में 1 आदमी अपनी सुविधा के लिए 27 मंजिला इमारत बना रहा है.  "द टाइम्स" को दिए गए इंटरव्यू में टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने कहा था  कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के प्रमुख मुकेश अंबानी का मुंबई में बना 27 मंज़िला घर 'एंटिला' इस बात का उदाहरण है कि अमीर भारतीयों की ग़रीबों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है.

ये बातें अगर कोई समाजसेवी करता तो ये गले के नीचे उतर जाती लेकिन टाटा कि जुबान से निकला ये बयान लोगों को रास नहीं आ रहा है. इसका कारण भी बिलकुल स्पष्ट है  -टाटा  ही वो कंपनी है जो पश्चिम बंगाल में हुए सिंगुर और नंदीग्राम मामलों के लिए उत्तरदाई है.गरीब किसानों की जमीने हड़प कर उनपर कारखाने लगाने का पूरा यत्न करने करने वाली कंपनी यदि किसी पर गरीबों के प्रति सहानुभूति न रखने का  आरोप लगाये तो ये एक हास्यास्पद बात है. इसके अलावा टाटा ही वो कंपनी है जो एरोप्लेन से लेकर नमक तक बनाने का काम करती है. भोजन की मूलभूत आवश्यकताओं में शुमार नमक  को 12   रूपये प्रति किलो  की दर से बेचने वाली कंपनी गरीबों की हितैषी होने का दावा करे तो सवाल उठने लाजमी हैं.
मुकेश अम्बानी हो या रतन टाटा या फिर बिडला और मित्तल . सारे उद्योगपति एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं.  इन सभी का एक मात्र लक्ष्य अपना मुनाफा कमाना है. देश की आधी आबादी भले ही भूखे पेट सो रही हो , दोनों अम्बानी बन्धु अपने बंगलों को ऊँचा और ऊँचा उठाते जा रहे हैं और इन पर आरोप लगाकर खुद को गरीबों का मसीहा साबित करने की कोशिश में लगे  टाटा  एक के बाद एक  विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करते जा रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में कोई भी आदमी इन पूंजीपतियों से गरीबों का हितैषी होने की कल्पना भी करता है तो इस धरती पर उससे बड़ा मूर्ख शायद ही कोई और दूसरा होगा.

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